Examination management will increase the success of youth
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Editorial: परीक्षा प्रबंधन से युवाओं की बढ़ेगी सफलता, देश भी चमकेगा

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Examination management will increase the success of youth

Examination management will increase the success of youth: परीक्षाएं एक समय ऐसा युद्ध होती थी, जिसे केवल विद्यार्थी और उनके परिवार के लोग ही लड़ते थे, हालांकि आजकल परीक्षाओं में सहज रह कर अपने अर्जित ज्ञान और समझ का प्रदर्शन करने में सरकारें भी सहयोग कर रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी Prime Minister Narendra Modi ने परीक्षा पर चर्चा जैसे कार्यक्रम के जरिये परीक्षाओं के भय से विद्यार्थियों को मुक्त कराने की मुहिम शुरू की है। यह अपने आप में बेहद अद्भुत और प्रेरक कार्यक्रम है, क्योंकि इस दौरान देश के प्रधानमंत्री स्वयं विद्यार्थियों से उनकी अपेक्षाओं, उनकी प्रेरणा और भविष्य की योजनाओं के संबंध में चर्चा करते हैं। प्रधानमंत्री का यह कहना कि बच्चों को परीक्षा के लिए समयबद्ध तैयारी करनी चाहिए ताकि अंतिम समय में तनाव से बचा जा सके, वह टिप्स है जिसका प्रयोग हर परीक्षा के दौरान किया जा सकता है। वैसे आजकल देश में बच्चों का पास प्रतिशत ही नहीं सुधरा है, अपितु उनमें ज्यादा से ज्यादा अंक लेने की भी होड़ लगी है। बच्चों के मन में तमाम सवाल हो सकते हैं, जिनका समाधान जरूरी है। प्रधानमंत्री मोदी के साथ चर्चा में बच्चों की वे सभी अभिरुचियां सामने आती हैं, जोकि देश को आगे बढ़ाने में योगदान देती हैं।

मदुरई केंद्रीय विद्यालय की छात्रा अश्विनी student ashwini ने प्रधानमंत्री से परीक्षा के तनाव, दबाव और परीक्षा में अधिक अंक लाने के प्रेशर पर प्रश्न पूछा। इसी प्रकार अन्य छात्रों ने प्रधानमंत्री से पूछा कि यदि परीक्षा में उनके अच्छे अंक न आए तो वह अपने परिवार के प्रेशर को कैसे डील करें? जाहिर है, इस प्रकार के सवालों से हर बच्चा जूझता है, परीक्षा में अगर कोई पास नहीं होता या फिर अंक उम्मीद के अनुसार नहीं मिलते तो बच्चे गहरे तनाव में चले जाते हैं, वह कई तो आत्महत्या तक के कदम उठा लेते हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री से किसी जवाब की उम्मीद सर्वाधिक प्रासंगिक है।

मोदी ने इसका जवाब यह कहते हुए दिया कि परिवार के लोगों की आपसे अपेक्षा होना बहुत स्वाभाविक है और उसमें कुछ गलत भी नहीं है। यदि परिवार के लोग अपेक्षाएं सोशल स्टेटस के कारण कर रहे हैं तो यह चिंता का विषय है। अभिभावकों को कई बार लगता है कि जब सोसाइटी में जाएंगे तो बच्चों के बारे में क्या बताएंगे, कभी-कभी माता-पिता छात्रों की स्थिति को जानने के बावजूद भी अपने सोशल स्टेटस को ध्यान में रखते हुए बच्चों के बारे में समाज में बड़ी-बड़ी बातें करते हैं और फिर घर में आकर बच्चों से ऐसी ही अपेक्षा करते हैं। ऐसी स्थिति में बच्चों के ऊपर लगातार अच्छे, और अच्छे अंक लाने के लिए दबाव बनाया जाता है।

प्रधानमंत्री Prime minister ने कहा कि छात्र भी अपनी स्टडी पर फोकस करें किसी दबाव में न आएं। प्रधानमंत्री ने छात्रों को आत्मनिरीक्षण करने की भी सलाह दी। उन्होंने कहा कि कहीं ऐसा तो नहीं है कि आप की क्षमता बहुत अधिक है और आप अपने आप का सही मूल्यांकन नहीं कर पा रहे। उन्होंने कहा कि माता-पिता को बच्चों पर पढ़ाई के लिए अधिक दबाव नहीं बनाना चाहिए लेकिन बच्चों को भी अपनी क्षमता से कम नहीं करना चाहिए। गौरतलब है कि एक बच्ची ने पूछा कि यह बात समझ नहीं आती कि परीक्षा के दौरान पढ़ाई कहां से शुरू करूं, मुझे अक्सर ऐसा लगता है कि मैंने जो कुछ भी पढ़ा था मैं वह सब भूल गई हूं। कई अन्य छात्रों ने भी प्रधानमंत्री से पढ़ाई एवं परीक्षा की तैयारी के लिए टाइम मैनेजमेंट को लेकर प्रश्न पूछे। प्रधानमंत्री ने कहा केवल परीक्षा के लिए ही नहीं बल्कि जीवन में भी हमें टाइम मैनेजमेंट के प्रति जागरूक रहना चाहिए। उन्होंने छात्रों को कहा कि अक्सर काम का ढेर इसलिए हो जाता है क्योंकि जो काम करना था वह हमने सही समय पर नहीं किया।

प्रधानमंत्री Prime minister  ने छात्रों को सलाह दी कि विश्लेषण करना चाहिए कि हमें किस विषय को कितनी देर और कब पढ़ना है। उन्होंने कहा कि हमें जो विषय पसंद हैं या आते हैं हम उन्हीं में ज्यादा समय देते हैं और उन्हीं में खोए रहते हैं। उन्होंने कहा कि फ्रेश माइंड के साथ सबसे पहले उस विषय को पढऩे का प्रयास करें जिसमें आपको कठिनाई आती है। प्रधानमंत्री ने छात्रों से कहा कि यदि आप घर में अपनी मां के कार्य करने की शैली को देखें तो उससे भी आप टाइम मैनेजमेंट को सीख सकते हैं। उन्होंने छात्रों से कहा कि पढ़ाई के लिए समय को सही तरीके से डिस्ट्रीब्यूट कीजिए।

वास्तव में जीवन अपने आप में प्रबंधन का नाम है। देश के युवा उसकी ताकत हैं, इन्हीं युवाओं के जरिए देश विश्व गुरु बनेगा और महाशक्ति भी। युवाओं को चाहिए कि वे परीक्षाओं examinations की बारीकियों को सीखें, हालांकि केंद्र एवं राज्य सरकारों को इन्हीं युवाओं के लिए नौकरियों का भी प्रबंध करना होगा। वहीं युवाओं को भी सरकारी नौकरी के पीछे दौड़ने के बजाय अपने पैरों पर खड़ा होने की योजनाएं बनानी होंगी। 

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